पर्यावरण की समस्या और निदान
पर्यावरण की बिगड़ती सूरत ,
बड़ी समस्या बनी आज की है ।
कैसे इसे पटरी पर लाएँ ,
यह मुश्किल काम बड़े राज की है।
जीवन के स्वच्छंद जीने का ,
दुष्परिणाम है यह दिखा रहा ।
ज्यों ज्यों वनों की कटाई हो रही ,
यह कई बातों को भी सीखा रहा ।
बेमौसम की बारिश होती ,
बेमौसम ठंडक अड़ती है ।
बेमौसम के पतझड़ होते ,
बेमौसम की गर्मी पड़ती है ।
जिन बातों में लगा है मानव ,
वह कृत्रिमता की बरसात है ।
इससे पर्यावरण को क्षति पहुँचती,
यही बिगड़ते पर्यावरण की सौगात है ।
पर्यावरण असंतुलित होने से,
हर जीव में विकलता छाई है ।
प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण ही ,
मुसीबत हर जीव पर बन आई है ।
ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से ,
ग्लेशियर सब भी पिघल रहे।
इससे समुद्र का स्तर बढ़ने से ,
हर जीव को भी निगल रहे ।
मुश्किल में है सबका जीवन ,
कुछ तो होगी इसकी कला ।
कुछ तो उपाय निकालें हम सब ,
सबका जिससे होए भला ।
विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सब ,
इस समस्या की तहकीकात करें ।
इसके निदान के लिए जो बने विकल्प ,
सब मिल उसका बरसात करें ।
जीवन हम सबका तभी बचे जब ,
प्रकृति से छेड़छाड़ कभी न किया करें ।
संतुलन पर्यावरण का बना रहे ,
तभी सुखमय जीवन की आस भरें ।
पर्यावरण की रक्षा करने में ,
अधिकाधिक पेड़ लगाएँ ।
फिर धरती के महती आनन को ,
खूबसूरत सा चमकाएँ ।
सब जीवों में जो आह बनी है ,
यथाशक्ति तत्काल मिटाएँ ।
हरे भरे वृक्षों को पोषित करने में ,
हम सब मिलकर डट जाएँ ।
पर्यावरण की रक्षा करने में ,
मिलकर जोश जगाएँ हम ।
अपनी रक्षा खुद करने को ,
सदा ऐसे होश बढ़ाएँ हम ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

