प्रभु हम तुम्हें भुला न पाएँ
सारी उमरिया जीवन की ,
प्रभुजी यूँ ही बीत न जाए ,
कण कण में प्रभु आप बिराजें ,
प्रभु हम तुम्हें भुला न पाएँ ।
पाँच तत्व से यह बनी चदरिया ,
एक दिन मिट्टी में मिल जाए ।
छद्म सुख के कारण जगत में ,
प्रभु हम तुम्हें भुला न पाएँ।
स्वार्थ की है खान जगत में ,
है सब पर दुष्कर माया भारी ।
कभी नहीं है शांति यहाँ पर ,
प्रभु एक तुम हो आस हमारी ।
चक्र जगत में मोह माया का ,
है स्वार्थ का यह जमाना ।
पत्नी , बेटा कोई भी हो ,
सबका वही हाल पुराना ।
मोह बंधन को छोड़ प्रभु जी ,
मैं तुम्हरे दरस ललचाऊँ ।
हम पर कृपा तुम्हारी हो तो ,
मैं शीघ्र शरण में आऊँ ।
एक विनती प्रभु जी सुन लो मेरी ,
हो तुम ही भाग्य सितारे ।
मिल जाए कृपा तुम्हारी जब ,
सब विधि उपकार हमारे ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

