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बलिदानियों के दम पर – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

बलिदानियों के दम पर

कर लें कितनी भी कोशिश ,वह कोशिश नहीं है  भाती ।
हो न दिल में जुनून जब तक अपना रंग नहीं जमाती ।
बलिदानियों  के  दम  पर भारत  गुलामी  से  भी  उबरा,
इससे सारे  भारत  में पहले मातम  ही तो  था  पसरा ।
तोड़  जंजीरें   गुलामी   की  भारत  का  मान बढ़ाया  ,
चलने के कंटक भरे मार्ग पर  वीरों  ने जोश जगाया ।
लक्ष्मीबाई  की   वीरगाथा  सबके  दिलों  को भाती ,
उनके पराक्रम पर तो  कोटि सिर  आज भी नवाती ।
शौर्य  कौशल  लक्ष्मीबाई ने रणभूमि में बड़े  दिखाए ,
उन जैसी वीरांगना कोई और भारत में  न लख पाए।
बाबू कुंवर सिंह का पराक्रम  अस्सी वर्षों में भी जागा ,
इस पुरुषार्थ के ही कारण सामने  से अंग्रेज फौज भागा ।
क्रांतिवीर खुदीराम बोस की लोग आज भी नाम लेते ,
उनके  जुनून , जज्बा  को  लोग आज भी सम्मान देते ।
भगत , सुखदेव, राजगुरु  क्रांतिकारियों के क्या  कहने ,
इनके पराक्रम और तीक्ष्ण बुद्धि से अंग्रेज भी थे सहमे ।
फांसी  की  सजा पर  इन   सपूतों  का  दिल न   दहला ,
क्रांतिकारियों को  फांसी देकर अंग्रेजों  का मन  बहला ।
उस समय भी तीनों की लोकप्रियता आसमान छूते थे,
ऐसे  कुकृत्य  कर  अंग्रेजों   के   भाग्य   ही   फूटे थे ।
अशफाक , बिस्मिल , राजेंद्र , रौशन और  चंद्रशेखर ,
ये  सब थे क्रांतिवीर  काकोरी कांड के  मुख्य धुरंधर ।
अपने प्राण अर्पण कर दिए मातृभूमि  आजाद कराने में ,
क्या जुनून था इन सपूतों के स्वतंत्रता के दीप जलाने में ।
आजाद हिंद के नायक सुभाष  को  कौन जानता नहीं है ,
इनके जुनून और वसूलों   को कौन  पहचानता  नहीं  है ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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