Site icon पद्यपंकज

बेटी दिवस – नीतू रानी

Nitu

हो रही है खामोश हिंसा
निर्दोष उन बेटियों की,
बचाओ मत मारो इसको
ये है रौनक आपके घर की,
हो रही——————2।

कितने कुमारे लड़कों को
लड़कियाॅ॑ नहीं मिल रही,
हो रहे हैं वो जवान से बूढ़े
नहीं हो रही है उसकी मंगनी,
कौन करेगा अब उस लड़के से शादी
उसके लिए नहीं है कोई लड़की,
हो रही है खामोश हिंसा
निर्दोष उन ————————2।

मत मारो तुम बेटियों को
जन्म लेने दो उसको,
कितने सपने सजाए बैठी है वो अंदर में
उसको संसार में तो आने दो,
अगर उसको मारोगे तो बहू कहाॅ॑ से लाओगे
कौन करेगी तुम सबों की सेवा
और वंश कैसे बढ़ाओगे,
बहू बेटी है घर की रौनक
और है वो लक्ष्मी घर की,
हो रही है खामोश हिंसा
निर्दोष उन——–2।

बेटा-बेटी में न भेद करो
करो प्यार दोनों को एक समान,
जो करते हैं बेटा-बेटी में भेद
वो हैं मूर्ख और नादान,
अभी संसार में बेटा से आगे निकल रही है बेटियाॅ॑
देखलो अपनी आॅ॑खों से
तब समझ में आएगी आपकी,
हो रही है खामोश हिंसा
मासूम उन बेटियों——2।

मत मारो तुम बेटियों को
पढ़ाओ लिखाओ करो कन्यादान,
वहीं करेगी सेवा तेरी
और करेगी वो सम्मान,
आज है आपके घर की रौनक
कल है रौनक देश के भविष्य की,
हो रही खामोश हिंसा
निर्दोष उन बेटियों की।
*******-
नीतू रानी, पूर्णियां बिहार।

 

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version