- बेटी हूँ , पढ़ सकती हूँ, लिख सकती हूँ ।
जिंदगी के कठिन राहें पर चल सकती हूँ ।। -
बेटी हूंँ , बोल सकती हूँ , सुन सकती हूँ ।
अपनी आवाज उठा सकती हूँ।। -
बेटी हूँ, हँस सकती हूँ, हँसा सकती हूँ।
कंधों पर दुनियाँ का बोझ उठा सकती हूँ।। -
बेटी हूँ, मम्मी -पापा के सपनों को साकार कर सकती हूँ।
परिवार चलाने की हिम्मत रख सकती हूँ।। -
बेटी हूँ, समाज की सेवा कर सकती हूँ।
देश की सुरक्षा कर सकती हूँ।। -
बेटी हूँ, बंदूक उठा सकती हूँ।
दुश्मनों को उन्हीं के भाषा में जवाब दे सकती हूँ।। -
बेटी हूँ, पढ़ -लिखकर आगे बढ़ सकती हूँ।
पी०एम० ,सी०एम० और डी०एम बन सकती हूँ।। -
बेटी हूँ, भारत माता की सुपुत्री बन सकती हूँ ।
मातृभूमि की पूजा तन -मन से कर सकती हूँ।। -
बेटी हूँ, गीत – संगीत की दुनियाँ
बसा सकती हूँ।
नृत्य कला में अपना नाम रोशन कर सकती हूँ।। -
बेटी हूँ ,हर सुख -दु:ख में साथ दे सकती हूँ।
अपना बोझ खुद उठा सकती हूँ।। -
बेटी हूँ, ईश्वर की पूजा कर सकती हूँ।
मंदिर- मस्जिद का भेदभाव मिटा सकती हूँ।। -
बेटी हूँ, आगे चलकर बहुत कुछ कर सकती हूँ ।
महिला सशक्तिकरण के लिए अपनी आवाज बुलंद कर सकती हूँ।। -
बेटी हूँ,घर पर चुप नहीं बैठ सकती हूँ।
दुनियाँ में अपनी पहचान बना सकती हूँ।। -
पापा मैं बड़ी हो गई हूँ
आपकी बेटी हूँ, आपका सहारा बन सकती हूँ,
आपका आशीर्वाद सदा हमें मिलता रहे
क्योंकि मैं आपकी बेटी हूँ —-
उज्जवल कुमार “उजाला”
सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी
बिहार शिक्षा परियोजना
रोहतास बिहार।