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भगवान विश्वकर्मा- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

सजी धजी यह धरा सुहानी ,

कितनी  प्यारी   लगती  है।

विश्वकर्मा जी की कृपा मात्र से ,

यह  छटा  निराली  लगती   है।।

अभियंता का काम जगत में,

यह  अभियंता  ही  जानें।

विश्वकर्मा का नाम जगत में,

प्रथम अभियंता श्री ही मानें।।

ब्रह्मा  जी  की  सृष्टि    पश्चात,

उन्होंने जग  को खूब सजाया।

रावण  की स्वर्णमयी लंका को

अपने   हाथों   खूब   सजाया।।

यंत्र विज्ञान के सृजनहार ने,

अद्भुत पुष्पक विमान बनाया।

मन की गति से चाल  थी उसकी,

यह देख देवों का भी जी ललचाया।।

इंद्रपुरी   और   हस्तिनापुर   का,

हर  विधि   नवनिर्माण   कराया।

जहाँ     वीरानगी  थी   जग  में,

उस  जगह  को  चमन   बनाया।।

द्वारिका और स्वर्गलोक जगत को

मोती  माणिक- सा    चमकाया।

शंकर   का    त्रिशूल    बनाकर ,

जगत  में खूब   प्रसिद्धि   पायी।।

शस्त्र  सुदर्शन  चक्र    बनाकर,

प्रभु   विष्णु   की    कृपा   भायी।।

यंत्र  जगन्नाथपुरी परमेश्वर    का

उन्होंने  कौशल सहित बनाया।।

कृष्ण  सखा  सुदामा के ठौर को

झोंपड़ी    से    महल    बनाया।

अपनी प्रतिभा  से विश्वकर्मा  ने

इसे   सुसज्जित  नगरी  बनाई।

चकाचौंध इतनी थी उस नगरी में ,

सुदामा  ने अपनी  ठौर  भुलाई ।।

धन्यवाद दे अपने अंतरंग सखा को ,

उनकी   प्रभुता   को   पहचाना।

धन्य  हुआ  सुदामा  का   जीवन,

जगत  के  अभियंता  को  माना।।

कल कारखाने या मोटर कार जगत में,

सत्रह  सितंबर को होती  है पूजा,

लोग  मगन  होते  हैं  इस  दिन,

और  कार्य   न   होती   दूजा।।

उनकी  महिमा  हर  कोई  जाने ,

उनकी कृपा  हर  कोई पहचाने।

धन्य हुआ   है उनसे ही जीवन ,

जगत में  हर कदम उन्हें पहचानें।।

उनसे  नित आशीर्वाद   लेने  में ,

कभी  धर्म   नही   बंधे  होते  हैं ।

उनको  अपना प्रथम  गुरु  मानकर ,

अभियंता  जोड़े हाथ खड़े होते हैं।।

अमरनाथ त्रिवेदी

पूर्व प्रधानाध्यापक

उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा

प्रखंड -बंदरा , जिला- मुजफ्फरपुर

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