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भरना इन्हें उड़ान है – प्रदीप छंद गीत – राम किशोर पाठक

भरना इन्हें उड़ान है – प्रदीप छंद गीत

बच्चों को हम बच्चा मानें, देना उनको ज्ञान है।
नहीं बोध है इनमें ज्यादा, भरना इन्हें उड़ान है।।

कहते कोरा कागज उनको, गढ़ना उनके सोंच को।
प्रसन्नता का हम भाव भरें, दूर करें उत्कोच को।।
सिखलाएँ हम ऐसी बातें, जिससे बनें महान है।
नहीं बोध है इनमें ज्यादा, भरना इन्हें उड़ान है।।०१।।

समझ अभी तो आधी इनकी, हसरत पालें हैं बड़े।
जोश अनूठा हरपल रखते, तत्पर रहते हैं खड़े।।
आओ जोश को गति सही दें, जो जग से अनजान हैं।
नहीं बोध है इनमें ज्यादा, भरना इन्हें उड़ान है।।०२।।

कहते कच्ची मिट्टी इनको, रूप गढ़ें नव कुंभ का।
प्यासे जग का त्राण करेंगे, हनकर शुंभ-निशुंभ का।।
आलोकित कर दें पथ इनका, रोके नहीं थकान है।
नहीं बोध है इनमें ज्यादा, भरना इन्हें उड़ान है।।०३।।

लिए बहुत हसरत को मन में, चलते अपनी राह को।
देख रहें थोड़े साधन से, अपनी अनंत चाह को।।
इनको संयम पाठ पढ़ाएँ, कम करना हलकान है।
नहीं बोध है इनमें ज्यादा, भरना इन्हें उड़ान है।।०४।।

जीवन का सब मर्म बताएँ, सिखलाकर व्यवहार में।
सीमित रहें न पुस्तक तक हीं, कुशल बनें संसार में।।
सदाचार रग-रग में भरना, पाठक का यह मान है।
नहीं बोध है इनमें ज्यादा, भरना इन्हें उड़ान है।।०५।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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