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मन के अपने सूने गगन से- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

मन के अपने सूने गगन से

मन के अपने  सूने  गगन  से ,
पूछ क्यों कुछ करता नहीं है ।
क्या  तेरा  हौसला  खो गया ,
तुमसे आग पानी में लगता नहीं है !

तुम  अभी    चाहो    तो ,
मिट्टी को भी  सोना बना लो  ।
तुम    यदि    चाहो   तो ,
कोयला  को  हीरा  बना दो  ।

शक्ति  है तुम में  इतना  की ,
पत्थर  भी   पानी   बनेगा ।
शक्ति है तुम में  इतना  की,
गगन  भी तेरे चरण पड़ेगा ।

सदा  हौसले  से  काम  लो ,
यही  तुम्हारी  शक्ति   सारी ।
इसे सदा ही पुष्ट रखो ,
यही जीवन में भक्ति तुम्हारी ।

शक्ति   लेकर  तब क्या करोगे ,
जब अंत समय आए  तुम्हारा ।
उस  हौसले को तब  क्या  करोगे,
रखे  हो  जब  मन में ही   सारा ।

कभी कर्त्तव्य से तुम  मत   चूको ,
जब  सम्मुख है   कर्त्तव्य   सारा ।
भटक न  जाओ  कभी  भ्रांति में  ,
जब  स्वप्न    हो    सुंदर   तुम्हारा ।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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