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महाराणा प्रताप – राम किशोर पाठक

महाराणा प्रताप

 

राजस्थान के मेवाड़ में, सिसोदिया राजवंश था।

वीर उदय सिंह द्वितीय का, जन्म लिया एक अंश था।।

जयवंता बाई सोनगरा, क्षत्रिय नाम सुमार था।

जिनके पावन गर्भ को, जाना सकल संसार था।।

साल पंद्रह सौ चालीस, मई का पावन माह था।

नौ तारीख इतिहास में, खुशी दे गया अथाह था।।

भारत पर शासन करते, मुगल राजवंश था।

मेवाड़ स्वतंत्र रूप में, देता जिन्हें दंश था।।

बचपन से हीं वें धीर- वीर, सैन्य कला निपुण थें।

महाराणा में कुशल प्रशासक के मौजूद सारे गुण थें।।

घोड़े की सवारी करना, उनको बहुत पसंद था।

चेतक नाम का घोड़ा भी, संग में तीव्र, अक्लमंद था।।

अकबर की विशाल सेना को, वीरता से हराया था।

दुस्समय कुछ ऐसा आया कि वन में जीवन बिताया था।।

कंद- मूल, फल, फूल संग घास की रोटी खाया था।

मातृभूमि के लिए जिसने, अपना सर्वस्व लुटाया था।।

आओ नमन करें उन्हें, जिनसे भारत का मान बढ़ा।

दु:ख होता है कि हमनें, इनका जीवन- वृत थोड़ा पढ़ा।।

जीवन जिसका है पूरा, गाथाओं से भरा हुआ।

महाराणा पर पाठक, गर्व लिए सिर खड़ा हुआ।।

 

 

रचयिता – राम किशोर पाठक

प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।

संपर्क – 9835232978

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