पृथ्वी पर जीवन का अंकुर फूटा,
धरा पर हरियाली छाई है ।
हर जीव जगत का वंश बढ़ाने,
स्त्रीत्व चरम पर आई है ।
माहवारी का दर्द सहा,
सौंपा जीवन पुरूषत्व को।
अपनेपन से समेटा परिवार,
तरसी फिर भी अपनत्व को।।
नौ मास रखा जब गर्भ में,
तन मन में परिवर्तन समाई है।
वक्षों में अमृत ,तन कर विकृत
लेती ममता अंगड़ाई है।।
प्रसव की पीड़ा ऐसी जैसे,
टूटे सारी हड्डियां साथ,।।
पूरे बदन का रक्त निचोड़ लिया,
आखों के आगे,आई काली रात।।
तन पर जख्म लेकर जब,
अपना अंश अलग वो करती है।
सब पीड़ा दर्द को भूल वो,
बच्चे को अंक में भरती है।।
सारी बाधाएं पार कर,
जब स्त्री नवजीवन पाई है,।
पूर्ण किया अपना जीवन
तब वो मां कहलाई है।
तब वो मां कहलाई है।
पृथ्वी पर अपने वंश को अस्तित्व में रखने वाली सभी जननी माताओं को,
Happy mother’s day
अंजली कुमारी
प्राथमिक विद्यालय धर्मागतपुर, मुरौल, जिला – मुजफ्फरपुर,
बिहार।