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मैं शिक्षक- प्रियंका कुमारी

मैं शिक्षक,

मैं कुंभकार हूँ।

देश के भविष्य को,

गढ़ता हूँ, मढ़ता हूँ।

मैं शिक्षक,

मैं कुंभकार हूँ।

बुद्धि से कौशल से,

क्रीड़ा से कर्म से,

ज्ञान से विज्ञान से,

श्रद्धा से विश्वास से,

गढ़ता हूँ, मढ़ता हूँ,

देश के भविष्य में,

संभावनाओं को भरता हूँ।

मैं शिक्षक,

मैं कुंभकार हूँ।

श्रम से सम्मान से,

कौशल से प्रभाव से,

सूचना से संस्कार से,

अन्वेषण आचार से,

गढ़ता हूँ, मढ़ता हूँ।

देश के भविष्य में ,

संभावनाओं को भरता हूँ।

मैं शिक्षक,

मैं कुंभकार हूँ।

रुचि से रुझान से ,

शिक्षा से सिद्धांत से,

अनुशासन से आदर्श से,

सुझाव से संवाद से,

गढ़ता हूँ, मढ़ता हूँ,

देश के भविष्य में ,

संभावनाओं को भरता हूँ।

मैं शिक्षक,

मैं कुंभकार हूँ।

प्रियंका कुमारी (पाण्डेय)

उ•  म•  वि. बुढ़ी
कुचायकोट, गोपालगंज

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