योग करें
रखें नियमित सदाचरण,काया करें नीरोग।
नित्य संयमित योगासन, जड़ से भागे रोग।।
रवि देव को नित प्रभात, साक्षात नमन करें।
अलौकिक रश्मि वाहिकाएंँ, रोग-व्याधि सब हरे।।
शुद्ध खाद्य का कर भोग, तन को कर सहयोग।
हर रोज योग का करें, सदा सर्वदा प्रयोग।।
सबल काया निखरेगी, व्याधि का हो वियोग।
दिनचर्या में फल सलाद, सर्वदा कर उपयोग।।
हर्षित जीवन उच्च विचार, आयु में जगा जोग।
योग की महिमा विलक्षण, तन भी बनें निरोग।।
रुग्ण काया जीव संचरण में, आत्मा को विस्मित करें।
योग-साधना सुख श्वास दे, चिंता से मुक्त करें।।
अनुलोम-विलोम प्राशन, करें रोग पर जीत।
सबल जीवन अपनाकर, करें योग से प्रीत।।
योग-अभ्यास अपनाकर, करें मन सदुपयोग।
युग में योग अराधना, चैतन्य का संयोग।।
रचनाकार अश्मजा प्रियदर्शिनी मध्य विद्यालय डुमरी फतुहा पटना

