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विश्वास का ह्रास

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विश्वास का ह्रास

मन हमारा रोया था,
जब तुम्हारे आंशु में,
जब हम दोनों श्वास लिए थे
एक-दूसरे के श्वासो में ,

वादा ऐसे जैसे रघुकुल का रीत हो,
प्यार किये ऐसे जैसे राधा जैसी प्रीत हो
बात-बात में वादा तेरा मां कसम से जुड़ गया
ऐसे जैसे लगा मां भक्ति में मुड़ गया,

मुझे लगा की कलयुग में,
सतयुग कहां से आ गया
कलयुग वाला बेटा
मातृत्व प्रेम में कैसे डुब गया,

कलयुग के इस कलिकाल में
विश्वास का ह्रास हुआ
श्वास -श्वास में जिह्वा पर
मिथ्या का अभ्यास हुआ,

अवनीश शर्मा

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अवनीश कुमार शर्मा

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