अनगढ़ माटी का गढ़ आकार देते है,
शिक्षक है मुश्किलों से उबार देते है
उनसे ही सीखा है जीवन कैसे चलायें,
वह हौसलों का हमे औजार देते है।
वह पथप्रदर्शक बन हमें राह दिखाए,
सही गलत का हमें सदा फर्क बताये,
नाजुक कोमल हमारा बालमन था,
वही हमें कठिनाई में कठिन बनाये।
जीवनयापन का गुर हमको सिखाये,
मंजिल तक कैसे पहुँचे हमें समझाये,
परीक्षाओं का सामना करने के लिए,
धैर्य और संयम हम उनसे सदा पाये।
शिक्षक है जिन्हें हम भरपूर मान देते हैं,
उनसे ही हम जीवन में मार्गदर्शन लेते हैं,
आज जो भी हैं हम उनकी बदौलत हैं,
उनसे ही हम जीवन में सदा ही चेते हैं।
रूचिका राय
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ,सिवान
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