शिक्षक हमारे ज्ञान पुंज
कौन कहता शिक्षकों के बिना ,
तकदीर हम सबकी बनेगी ?
कौन कहता शान में ,
इनके बिना सही जिंदगी कटेगी ?
ज्ञानपुंज के बिना क्या ,
रौशनी कभी हमें मिलेगी ?
उनके बिना कोई बात भी क्या ,
धरती से गगन तक कभी खिलेगी ।
समता नहीं कोई उनके समान ,
ज्ञान मन में न भर सकेंगे ।
समता नहीं कोई उनके जैसा ,
प्यारे छात्रों का न दिल जीत सकेंगे ।
नजरिए का सुपरिणाम है ,
जो जितना खिला उतना ही अच्छा ।
रहकर शिक्षकों के बीच में ,
सोना से भी कुंदन बना है सच्चा ।
कठिन लक्ष्यों को पाने में ,
शिक्षक ही है जो दम दिखलाते ।
वे ही मुश्किल घड़ियों में भी ,
साहस और धैर्य सिखलाते ।
जीवन के अनगिनत राहों में ,
वे प्रकाश सम ज्ञान पुंज होते ।
वे ही जीवन के स्तंभ स्वरूप ,
शक्ति के भी नव कुंज होते।
महिमा इनकी इतनी है कि
सदा ज्ञान की गंगा बहाएँ।
उठने से सोने तक की क्रियाओं को ,
जीवन में रुचिकर सदा बनाएँ ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा जिला मुजफ्फरपुर

