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श्रावणी पर्व -रत्ना प्रिया

Ratna Priya

रत्ना प्रिया

श्रावणी पर्व

श्रावणी पर्व है अति पावन, मिलकर सभी मनाएँ,
रक्षाबंधन के धागे यह महत्व हमें समझाएँ ।

शिव की कृपा लेकर आता है यह श्रावण प्यारा,
शिव-भक्ति शिव-महिमा से हो जीवन -धन्य हमारा,
जो शरण गहते हैं शिव की कभी नहीं घबराते,
पथ सुगम हो या दुर्गम हो आगे बढ़ते जाते,
अद्भुत साहस के धनी वो शिव का भक्त कहाएँ,
श्रावणी पर्व है अति पावन, मिलकर सभी मनाएँ ।

प्रकृति का अभिषेक निरंतर, वर्षा स्नेह से करती ,
सृष्टि के कण-कण में देखो, हरीतिमा है भरती,
भारत कृषि प्रधान देश है, सुख समृद्धि है कृषि से,
सुख समृद्धि व हरियाली है, कृषक-रूपी ऋषि से,
मन का मयूर थिरक उठे यह, झूमें नाचें गाएँ,
श्रावणी पर्व है अति पावन, मिलकर सभी मनाएँ ।

रक्षाबंधन की महिमा को, युगों-युगों ने गाया,
इस धागे की पवित्रता को, हर युग ने दुहराया,
द्रौपदी के स्नेह-धागे को, कृष्ण ने है माना,
हुमायूं ने कर्णावती का, भ्रातृप्रेम है जाना,
रक्षा व विश्वास के धागे, बंधन दृढ़ बनाएँ,
श्रावणी पर्व है अति पावन, मिलकर सभी मनाएँ ।

खेले-कूदे संग-संग में, तब वह थाह न पाई,
प्रिय सखा बचपन का साथी, वह कहलाता भाई,
नोंक-झोंक और लाड़-प्यार में, बीता है बचपन,
काश ! हमारे जीवन में, लौट कर आए वो क्षण,
जीवन की सुखद स्मृतियां हम, भूलें-भुला न पाएँ
श्रावणी पर्व है अति पावन, मिलकर सभी मनाएँ ।

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