Site icon पद्यपंकज

सरस्वती वंदना- रूचिका

Ruchika

हे वीणावादिनी! देवी सरस्वती,
हमें कष्टों से उबार दें।
मूढ़मति हम संतान तुम्हारे,
हमें ज्ञान का उपहार दे।

अज्ञानता का अंधकार छाया,
राह हमको समझ न आया
हे वीणापाणि शारदे माँ!
संसार सागर से हमें तार दे।

हे श्वेतवसना माता भारती
हमारे मन में प्रेम-भाव रहे।
छल,दम्भ द्वेष से दूर होकर
एक दूजे के लिए कष्ट हम सहें।

जाति धर्म से मन में नहीं रार हो
इंसानियत मन में रहे सर्वदा
एक दूजे के लिए सदा प्यार हो।
हे कमलासना वीणापाणि
नही किसी से कभी कोई तकरार हो।

हे पुस्तकधारिणी वागीश्वरी माँ!
हमारी सारी शंका मिटाओ।
हमारे मन में जोश भर दो ऐसा,
नही कभी हमें कमजोर पाओ।

हो हमको हमारी मेहनत पर भरोसा,
मन में नहीं कभी लालच आए,
हे वरदायिनी माँ! तुम हमको वर दो,
सारे मनोरथ पूर्ण कर पाएँ।

रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ गुठनी सिवान, बिहार

1 Likes
Spread the love
Exit mobile version