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सर्द हवा- रामकिशोर पाठक

RAM KISHOR PATHAK

 

कुहासा बाहर गहरा है

सर्द हवा का पहरा है।

कुछ नहीं पड़ती  है दिखाई

बच्चों तुम न करो ढिठाई

कुछ दिन छिपकर रह लो घर में

जो पढ़ें उसे दुहरा लो घर में

यह ठंड अभी हीं पसरा है

कुछ दिनों तक ठहरा है ।

कुहासा बाहर गहरा है

सर्द हवा का पहरा है।

ताप बहुत ही हो गया कम

रखा सबको करके बेदम

सूरज ऑंख मिचौली करते

पता नहीं कहॉं वो रहते

सूरज का आना बिसरा है

पानी-सा बाहर बिखरा है।

कुहासा बाहर गहरा है

सर्द हवा का पहरा है।

कपड़े ऊनी गर्म पहन लो

खुद के हित में यह वचन लो

ठंडा कुछ दिन खाना नहीं

व्यर्थ का बाहर जाना नहीं

करना नहीं कुछ नखरा है

तुमसे ही सबको असरा है।

कुहासा बाहर गहरा है

सर्द हवा का पहरा है।

राम किशोर पाठक

प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश

पालीगंज, पटना, बिहार

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