घर का कचरा फेंक सड़क पर
चले कहां भैया इतरा कर?
क्या सोचा है कभी आप ने
होगा कितना जीना दुष्कर ?
हुआ जहां कल धूम धड़ाका
आज वहीं पर जोर धमाका।
छाएगा गुब्बार धुएं का
बोलो भैया क्यों ना सोचा?
घर का कचरा बाहर निकाल
बीच सड़क पर दिए हैं डाल।
सोच समझकर हमें बताएं
क्यों हर मन में उठा सवाल?
रात जहां पर दीप जले थे
हंसते गाते लोग दिखे थे।
आज यहां पर जाकर झांके
क्या कहती वहां की सड़कें?
आंख मूंद सब आते-जाते
खुश हैं सब कचरा फैला के।
कचरा डिब्बे में ही डाले
कूड़ा करकट हैं समझाते।।
कूड़े की इक नदी बही है
गली-गली का हाल यही है।
पूछे बच्चे आज बड़ों से
तीज त्यौहार क्या यही है?
आज नया बाज़ार लगा है
कूड़े का अंबार लगा है।
कल रात थी जहां दिवाली
अब कचरा दरबार लगा है?
मीरा सिंह “मीरा”
+२, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव जिला-बक्सर,बिहार
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