हिन्दी की पत्रकारिता
हिन्दी की पत्रकारिता, सत्य हेतु तैयार,
हर परिवर्तन की छवि, देती सच्चा सार।
जनमन की अभिव्यक्ति का, बनती है आधार,
नीति, धर्म, संवाद में, करती नव उपकार।
‘उदन्त मार्तण्ड’ बना, पहला पत्र प्रकाश,
शब्दों से इतिहास का, रच डाला उल्लास।
आजादी के वक्त जब, छाया अंधकार,
कलम बनी मशाल तब, जागा जन विचार।
गांधी की आवाज़ को, जिसने दिया विस्तार,
नेहरू, सुभाष, भगत के, भावों का सत्कार।
नवयुग की पत्रकारिता, करे सदा प्रयास,
सूचना संग मूल्य का, फैलाए विकास।
न हो पक्षपात कभी, न हो झूठी बात,
हिन्दी की पत्रकारिता, दे जन को सौगात।
जन-जागरण का बने, जब निष्कलंक आधार,
तब ही युग की लेखनी, कहलाए प्रतिकार।
भाषा का सम्मान हो, लेखनी में हो धार,
धर्म, जाति से परे हो, सच की सीधी हो वार।
कलम चले उस ओर जो, हो जनता जज़्बात,
पत्रकारिता तब बने, युग की सही बात।
“हिन्दी की यह लेखनी, युग की अमिट मिसाल,
सत्य-सरोवर में सदा, करे विचार-सवाल।”
@सुरेश कुमार गौरव, प्रधानाध्यापक, उ.म.वि.रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

