हिंदी मेरी जुबान
हिंदी मेरी पहचान,
कभी भावनाओं के ज्वार थामे,
कभी जज्बातों को दे पहचान।
हिंदी मेरी जुबान।
कल्पनाओं के जो महल बनाई,
दर्द की तीव्रता जब मन में समाई,
खुशी की खिलखिलाहट
जब मेरे चेहरे पर आई।
हिंदी मेरी जुबान।
उठते गिरते हौसलों संग,
हिम्मत देख जब हुए दंग,
जिंदगी दिखलाए अपने रंग।
हिंदी मेरी जुबान।
नहीं कोई सीमा में बाँधे,
नहीं कोई कमियों से रोके,
टूटी-फूटी या सही गलत जो भी हो,
हिंदी मेरी जुबान।
हिंदी है हिन्द की भाषा,
यह है हम सबकी आशा,
सहजता से बोले और समझे
दूर हो इससे निराशा।
हिंदी मेरी जुबान।
रस, छंद, अलंकार से अलंकृत
व्याकरण से है ये परिष्कृत
शब्दों का है इसका देखो
विपुल भंडार
हिंदी मेरी जुबान।
रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ,
गुठनी, सीवान, बिहार
0 Likes