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हिन्दी की व्यथा – KUMARI RENUKA RANJANA

वाह रे ज़माने तेरी हद हो गई, इंग्लिश के आगे हिन्दी रद्द हो गई l

पहले पापा फिर डैडी अब डैड हो गए, हिन्दी को छोड़कर अंग्रेजी में सब मैड हो गए l

हिन्दी की बिंदी हटाकर सब जीरो हो गए, गाँधी टोपी छोड़कर सब हीरो हो गए l

कौन कहता है कि हम आजाद हो गए, अंग्रेज चले गए , हम अंग्रेजी के गुलाम हो गए l

अंग्रेज चले गए अंग्रेजी राज कर रही है, हिन्दी तो बस गलियों में फरियाद कर रही है l

सौतन बनकर आयी अंग्रेजी अब महारानी हो गई, अपने ही घर में हिन्दी-रानी अब बेगानी हो गई……बेगानी हो गई…….बेगानी हो गई l

कवयित्री- कुमारी रेणुका रंजना

विद्यालय अध्यापिका,

कारी अनंत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मधैली बाजार शंकरपुर मधेपुरा,

विषय-गृह-विज्ञान(11-12)

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