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हिन्दी राष्ट्र की भाषा है – रत्ना प्रिया

Ratna Priya

रत्ना प्रिया

हिन्दी को नित पढ़ने की, पढ़ाने की अभिलाषा है |
गर्व है हम भारतीयों को, हिन्दी राष्ट्र की भाषा है ||

उड़े गगन में दूर तलक, जमीं हमेशा याद रहे,
हो वतन से दूर कभी, मातृभूमि आबाद रहे,
हिन्दी अमृत की जलधि को, पाने की पिपासा है |
गर्व है हम भारतीयों को, हिन्दी राष्ट्र की भाषा है ||

विश्व की भाषाओं में, प्राचीन संस्कृत कहाती है,
हिन्दी, संस्कृत के आँचल की, पुत्री कहलाती है,
देवनागरी लिपि की यह, सहज, सरल परिभाषा है,
गर्व है हम भारतीयों को, हिन्दी राष्ट्र की भाषा है ||

ज्ञानार्जन से बढ़कर नहीं, दुनिया में कोई धन है,
उस की शक्ति अविरल है, जिसका जिज्ञासु मन है,
खो जाए, खप जाए तो भी होती नहीं निराशा है |
गर्व है हम भारतीयों को, हिन्दी राष्ट्र की भाषा है ||

हिन्दी हैं हम, वतन है, इकबाल कवि की वाणी है,
हिन्दी, हिन्दु, हिन्दोस्तां की यह पहचान पुरानी है,
कवियों को जो प्रेरित करती, नवपीढ़ी से आशा है |
गर्व है हम भारतीयों को, हिन्दी राष्ट्र की भाषा है ||

माँ भारती की बिन्दी है यह, बापू की राजदुलारी है,
घर-घर बोली जानेवाली, हर भाषा से न्यारी है,
हर धर्म, संस्कृति को यह, देती सरल मीमांसा है |
गर्व है हम भारतीयों को, हिन्दी राष्ट्र की भाषा है ||

रत्ना प्रिया ,
मध्य विद्यालय
हरदेवचक, पीरपैंती, भागलपुर

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