हर नुक्कड़ और चौराहे पर
साल में एक बार खड़ा होकर
पूछ रही है होलिका।
हर साल मुझे जलाने का
मतलब क्या हुआ?
दिल में शैतान तुम पाले हो
और जलाने का प्रयास
मुझको करते हो।
मैं तो उसी दिन अग्नि में जलकर
ताप में तप गई
पर इस इंसान रूपी
जीव को तो देखो
लाखों बुराइयाँ दिल में
वे स्वयं पाले हैं
और जलाने का प्रयास
मुझको करता है।
भाई भाई में तुम लड़ते हो
कभी जाति के नाम पर
कभी धर्म के नाम पर
कभी मंदिर के नाम पर तो
कभी मस्जिद के नाम पर
नफरत तुम फैलाते हो
और जलाने का प्रयास
मुझको करते हो।
पहले प्रह्लाद जैसा भाव दिल में पालो
देखना फिर होलिका को
हर साल जलाने की जरुरत नहीं
पाक दिल इंसान में
होलिका को रहने की
कोई हसरत नहीं।
संजय कुमार
जिला शिक्षा पदाधिकारी
अररिया
1 Likes