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शरद ऋतु-ब्यूटी कुमारी

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शरद ऋतु

वर्षा गई शरद ऋतु आई
फुले काश धरा मुस्काई।
प्रकृति की सौंदर्य बड़ी निराली
शरद पूर्णिमा को सोलह कलाओं
वाली चंद्रमा आई।
अवनी पर अमृत वर्षा की
वर्षा गई शरद ऋतु आई।
सूरज की किरणें सबको भाती
भ्रमर गुनगुन गुंजन गाती
ऊनी कपड़े सबको सुहाती
शरद सुहानी मनभावनी
ठुमुक ठुमुक आती है।
दिनकर रश्मि के स्पर्श से
नववधू सी शर्माती है।
अधखिले कुमुदिनी खिल जाते
वर्षा गई शरद ऋतु आई।
खेतों में हरियाली आई
त्योहारों का मौसम आया
सबके मन उमंग भर आया
सर्दी आई बड़ी निराली।
स्वच्छ व्योम में टिमटिमाते तारे
घंटों हंसिनीयों के संग धूप
झीलों में करती जलविहार
जबसे है यह सर्दी आई
रहती धुंध देर तक छाई।
शीतलहर चलती जोरों से
लगता ओढ़े रहें रजाई
प्रातः ओस की बूंदे दिखती
झिलमिल झिलमिल पत्तों पर
हार कांपता आया जाड़ा
घने कोहरे को चीरकर
रवि अपनी किरण बिखेरे।
वर्षा गई शरद ऋतु आई
सर्दी आई बड़ी निराली
फुले का काश धरा मुस्काई।

ब्यूटी कुमारी

मध्य विद्यालय मराँची

बछवाड़ा, बेगूसराय

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