सर्द हवा-राम किशोर पाठक 

सर्द हवाओं का झोंका है। अम्मा ने मुझको रोका है।। कहती बाहर में खतरा है। सर्दी का पग-पग पहरा है।। देखो छाया घना कोहरा। सूरज का छिप गया चेहरा।। बूँद…

अनुराग सवैया –  राम किशोर पाठक

अनुराग सवैया –  राम किशोर पाठक गणेश महेश सुरेश दिनेश पुकार करूँ नित आस लगाएँ। विकार सुधार विचार प्रचार निखार रहा निज दोष गिनाएँ।। अबोध सदा यह बालक है प्रभु…

बचपन-गिरीन्द्र मोहन झा

खेलना, मस्ती करना, बड़े-बड़े ख्वाब देखना, पढ़ाई करना, जिज्ञासु प्रवृत्ति का हो जाना, बड़े-बड़े सपने देखना, पर धरातल से सदा जुड़े रहना, समय पर पढ़ाई-लिखाई करना, सहयोग भावना रखना, अच्छी…

संस्कार-गिरीन्द्र मोहन झा

कहता हूं, व्यक्ति अपने संस्कार का ही होता है गुलाम, सुसंस्कारवश अच्छा काम करता, कुसंस्कार से बुरा काम, अच्छा संस्कार सत्कर्मों, सद्विचारों के चिंतन से ही बनता है, कुकृत्यों, बुरे…

कर्म हमें ऐसा करना है- सरसी छंद गीत – राम किशोर पाठक

कर्म हमें ऐसा करना है- सरसी छंद गीत कर्म हमें ऐसा करना है, जिससे मिले सुकून। जीवन मूल्य लक्ष्य को पाना, रखिए सदा जुनून।। चलते रहना काम हमारा, मन में…

प्रभाती पुष्प – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

श्याम वंशीवाला सिर पे मुकुट मोर, गोपियों के चित्तचोर, होंठ लाले-लाल किये, खड़ा बंसी वाला है। कहते हैं ग्वाल-बाल, मित्र मेरा नंदलाल , कन्हैया की माता बड़े, नाजों से हीं…