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बेटी और बहु-धीरज कुमार

Dhiraj

बेटी और बहु

जन्म लेती है जब घर में।
बेटी लक्ष्मी कहलाती है।।

लक्ष्मी आई है घर में।
मां के गोद में बेटी मुस्काती है।।

बेटी को बड़े दुलार प्यार से पालते है।
छोटी बेटी घर में नन्ही परी कहलाती है।।

बेटी को पढ़ाते है, हर पग पर साथ निभाते है।
हर शौक अपने बेटी का पूरा करवाते है।।

बड़ी होकर बेटी।
मां बाप के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ निभाती है।।

चिंता होती है उसकी शादी की।
अच्छा वर ढूंढ कर शादी करवाते है।।

अपने पिता का घर पराया कर।
बेटी ससुराल को अपने घर जाती है।।

मां बाप द्वारा दिए संस्कार को।
जितना हो सकता है वो निभाती है।।

फिर न जाने क्यों?????

फिर न जाने क्यों बेटियां?
बहु बनकर ससुराल में पराई हो जाती है?

अगर बहु को भी घर की लक्ष्मी
समझे सारा संसार।।

बहु को बेटी के समान दर्जा देने लगे सारा परिवार।। 

तो….

जन्म के साथ बेटी के रूप में आई लक्ष्मी।

जिंदगी भर घर की लक्ष्मी कहलाएगी।।

घर का मान बढ़ेगा, नारी का सम्मान बढ़ेगा।

हर घर में बहु पूजी जाएगी, बेटी अपना सही सम्मान पाएगी।।

धीरज कुमार
UMS सिलौटा प्रखंड भभुआ
जिला कैमूर

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