चलना है थोड़े -थोड़े- धीरज कुमार

हैं पग- पग पर रोड़े। चलते रहना है थोड़े -थोड़े।। बढ़ते कदम अब रुकने वाले नहीं है। इरादे मजबूत रखे चले कितने भी कोड़े।। है बुलंद इच्छाशक्ति पत्थर सी। चला…

हमारा पहनावा हमारी संस्कृति- धीरज कुमार

हर भारत के वासी है, भारतीयता है पहचान हमारी। दुनिया के लोगो के बीच पहनावे से होती पहचान हमारी।। पश्चिमी फैशन को अपनाना यदि शौक है हमारी। भारतीय संस्कृति की…

अपनी हिंदी-धीरज कुमार

अपनी हिंदी हर हिंदुस्तानी के दिल की धड़कन है अपनी हिंदी। माथे पर महिला के सुशोभित है जैसे बिंदी। गर्व होता है कि मेरी मातृभाषा है हिंदी। जैसे सभी नदियों…