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दोस्ती – दीपा वर्मा

Deepa verma

दोस्ती कोई स्वार्थ नही ,
एक विश्वास होती है..।
एहसास से बना एक रिश्ता ,
जो बहुत खास होती है।
लाखो मे कुछ खुशनसीब होते है,
जिनहे सच्ची दोस्ती नसीब होती है।
बड़ो का आशिष और कुदरत की दी बख़्शीश होती है।
ढूंढे से ना मिले ,
यह तो उसकी तकदीर होती है।
पर कहते है दोस्ती रह गई ,
दोस्ताना बदल गया,
एक दूसरे से मिलने का बहाना बदल गया।
दिल की बाते अब कम होती है,
मिलने पर अब वो नजराना
बदल गया।
सच कहते है,
दोस्ती का अब वो जमाना बदल गया।
फोन पर ही
अब शुभकामनाये लेते-देते है ।
खुशियो मे अब एक दुसरे के घर ,
आना-जाना बदल गया है।दोस्ती तो रह गयी,
दोस्ती का पैमाना बदल गया है।
जमाना बदल गया है,
दोस्ताना बदल गया है।
***

दीपा वर्मा
रा.उ.म.वि. मणिका
मुजफ्फरपुर..बिहार।

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