गुरू की महिमा – दीपा वर्मा

Deepa verma

हो रहा अत्याचार है,
हम लाचार हैं। मन हो रहा दुखी
क्योकि आज हम बीमार हैं
न भोजन भावे,न नींद आवे
न कोई और चीजों से सरोकार है।
पर इन सब से किसी को कोई फर्क नहीं
न छुट्टी है ,न आराम है।
बस काम ही काम है। पीछे पङी सरकार है।
नौकरी लगती बोझ है,
जाना विधालय रोज है।
बच्चों को भी एतबार है,
रोज गुरु का इंतजार हैं।
पढना है, अब जोर -शोर से
जग में नाम कमाना है,
गुरओं की मेहनत को, सफल बनाना है।
बदल जाएगी देश की तस्वीर..
मेहनत की जो रफ्तार है।
बच्चों के भविष्य उज्जवल वने।
सबदिन, सबने चाहा है,
पर गुरुओं की होती है यह पहली कामना, पहला अरमान,
इसके दरमियान कहां कुछ और
या होता,व उनका घरवार है।
भले हम बीमार है,या होता हमपे अत्याचार है।
विधालय ही हमारा परिवार है।
बच्चे हमारा संसार है। क्योंकि
गुरु की महिमा अपरम्पार है।

दीपा वर्मा
रा.उ.म.वि.मणिका
मुजफ्फरपुर…

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