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कविता – दीपावर्मा

Deepa verma

कविता सोच कर किया नही
जाता।
यह तो मन के भावो की कहानी है।
हृदय के उद्गार को शब्दो मे पिरोया जाता है।
फिर उसे सुर और ताल से सजाया जाता है।
कविता, कवि के मन मे उठी हिलोरें होती है।
संसार मे चल रहे हलचलों के चलचित्र को
शब्दरुपी मोतियों मे गूंथा जाता है।
कभी उदास मन
कभी हर्षोल्लास मन
कभी अंतर्मन की चित्कार तो
कभी जब होता मन बीमार
इन मर्मस्पर्शी भावों को
मनमोहक, मीठे,शब्दरूपी भाषा मे सामनेवाले को परोसा जाता है।
इस जग मे महान कवियो
की लगी कतार है।
विभिन्न रस और भावों के कवि हुए ,और हो रहे लगातार हैं।
कविता सुंदर, अनमोल एवं मीठी वाणी होती है,
जो स्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर, कानों मे रस घोलते हैं।
कविता मे कवि नही,भाषा नहीं।
कविता की पंक्तियों के सुंदर शब्द बोलते हैं।

दीपावर्मा
रा.उ.म.वि.मणिका
मुजफ्फरपुर

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