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आसरा पास बैठी है – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’ 

 

खींचती मर्म की रेखा।।

जन्म लेते जिसे देखा।

आज माॅं खास बैठी है।

आसरा पास बैठी है।।

दर्द होने नहीं देती।

मात रोने नहीं देती।।

दौड़ती वो सदा आती।

दुग्ध धारा सदा लाती।।

साथ में स्नेह की छाया। 

बात ही बात में माया।।

थाप धीरे लगाती है।

जल्द लोरी सुनाती है।।

नींद में मैं चला जाता। 

द्वार पे चैन मुस्काता।।

मात संतोष पाती है।

जल्द खाती खिलाती है।।

रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’ 

पूर्व प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दर्वेभदौर

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