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आंनद हीं आंनद-अवनीश कुमार

आंनद हीं आंनद

गिरेगा नहीं तो चलेगा कैसे ?
लड़ेगा नहीं तो जीतेगा कैसे ?
भिड़ेगा नहीं तो अड़ेगा कैसे ?
डरा नहीं तो डरायेगा कैसे ?
हारा नहीं तो जीतेगा कैसे ?
फँसेगा नहीं तो पार पायेगा कैसे ?
टूटेगा नहीं तो जुटेगा कैसे ?
बिखरेगा नहीं तो महकेगा कैसे ?

इन सवालों पर विचार कर
अन्तरपटल खोल कर
दो क्षण चिंतन कर
प्रश्न का मंथन कर
उत्तर अभिज्ञान कर
बाधाओं को पार कर
चुनौतियों को स्वीकार कर

विपरीत परिस्थितियों को सहर्ष स्वीकार कर
योजना का निर्माण कर
नित नए अनुसंधान कर
कार्यों का पुनर्निर्माण कर

जीत का आनन्द ले
जश्न का आनन्द ले
सुख का आनंद ले
आनंद ही आनंद ले
आनंद ही आनंद ले।।

अवनीश कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब  पकड़ीदयाल पूर्वी चंपारण (मोतिहारी)

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