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हृदय की पुकार -बैकुंठ बिहारी

हृदय की पुकार
हे मानव। सुन हृदय की पुकार,
प्रकृति से मित्रता कर, प्रकृति का सम्मान कर,
पेड़ पौधे जीव जंतु का सम्मान कर।
हे मानव। सुन हृदय की पुकार,
मानवता का सम्मान कर,
परस्पर प्रेम का विचार कर,
काम का तिरस्कार कर,
क्रोध का तिरस्कार कर,
मद का तिरस्कार कर,
लोभ का तिरस्कार कर,
मोह का तिरस्कार,
कर,
मत्सर का तिरस्कार
कर।
हे मानव। सुन हृदय की पुकार,
जीव हत्या बंद कर,
विचारों की हत्या बंद कर,
संस्कारों की हत्या बंद कर,
नैतिकता की हत्या बंद कर,
शिष्टाचार की हत्या बंद कर,
विनम्रता की हत्या बंद कर,
आदर्शों की हत्या बंद कर।
हे मानव। सुन हृदय की पुकार,
स्वयं से वार्तालाप कर,
अपने विकारों का बलिदान कर,
अपने सत्कर्मों का सम्मान कर,
अपने सपनों का सम्मान कर।।
प्रस्तुति
बैकुंठ बिहारी
स्नातकोत्तर शिक्षक
कम्प्यूटर विज्ञान
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहोड़ा गद्दी कोशकीपुर

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