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बिन मौसम बरसात – अवधेश कुमार

बिन मौसम बरसात : बाल कविता , मौसम आजकल
हथिया नक्षत्र की बिन मौसम बरसात आया ,
अपने साथ लाया बाढ़ और ढंडक की छाँव,
घिर गई बदरिया छाई बैचैनी गाँव में ।
धरती बोली — “अब जल दो ना!”
मेघ हँसे — “लो, बरसो ना!”
छप-छप करती पोखर-पानी,
कूदे मेंढक और मछली रानी ।
बालक बोले — “अरे मज़ा है!”
माँ बोली — “भीगो मत सजा है!”।
कभी सूखे खेतों में चमके हरियाली,
हो खुश किसान की मुस्कान निराली।
कभी ये नदी किनारे तबाही लाती ,
कभी बाढ़ लाकर गाँव गाँव में झील बनाती ।
खौफनाक मंजर है बिन मौसम बरसात का ,
बच्चे बूढ़े त्रस्त है कुदरत के अनोखे सौगात का ।
प्रस्तुति – अवधेश कुमार
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर , मरौना , सुपौल

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