बेटा का अधिकार
रूप घनाक्षरी छंद में
जनता है आती याद,
हर पांँच वर्ष बाद,
नेता की है आस टीकी, आपके इंसाफ पर।
कहते हैं माई-बाप,
मलिक हैं मेरे आप,
कृपा कर एक वोट, दे दें इस छाप पर।
आपकी कृपा से मिले-
एक मौका और मुझे,
हमारी तो जीत-हार, निर्भर है आप पर।
हमें नालायक कहें-
अथवा कुपुत्र सही,
बेटा का तो अधिकार, होता सदा बाप पर।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
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