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बेटी अभिशाप नहीं वरदान है – पूजा कुमारी

जाने क्यों लोग बेटी को बोझ समझते हैं। बेटी कोई अभिशाप नहीं यह तो आंगन की लक्ष्मी है।।
किसी के घर खुशहाली बनकर तो किसी के घर लक्ष्मी बनकर आती है यह बिटिया प्यारी।
जिसके घर बेटी ना हो उसके घर बन जाती है रानी।।

क्या घर वाले और क्या दुनिया वाले सभी देते हैं सम्मान। पूजनीय बन जाती है वे देवी के समान।।

बेटी, बहन, बहू और मां बनकर।
रहती सदा सहनशील बनकर।।

कहते हैं लोग बेटी है अभिशाप।
वरन् अभिशाप नहीं है,वरदान।।

जो लोग पा जाते हैं बेटी के कुमकुम कदम।
वो लोग होते हैं, जगत में भाग्यशाली।।

मिलती उसे जिदंगी की सौगात।
बेटी अभिशाप नहीं वरदान है।।

स्वरचित :-
पूजा कुमारी विशिष्ट शिक्षिका

उत्क्रमित मध्य विद्यालय भर्राही बाजार, मधेपुरा, बिहार

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