भारत दर्शन
भारत देव भूमि है, अतुल्य धरा है,
समृद्ध और गौरवशाली इतिहास है,
प्राचीन सभ्यताओं में बेसुमार है,
यहां वेद रचनाओं की रचना स्मृति है।
गंगा, यमुना, नर्मदा, ताप्ती, कावेरी,
कलकल बहती मधुर संगीत सुनाती है,
अर्पण-तर्पण, धम्म, आस्था का संगम है,
ऋषि-मुनियों की धरती से पहचानी जाती है।
यहाँ लगता है उत्सवों का मेला,
जन्माष्टमी हो या स्वतंत्रता दिवस,
गणेशोत्सव हो या गणतंत्र दिवस,
या हो ओणम, ईद या रक्षाबंधन।
हिंदी, बंगाली, मराठी, तेलुगू , कन्नड़, तमिल, गुजराती, पंजाबी, ओडिया, मलयालम, संस्कृत, मैथिली, मागधी, भोजपुरी ये सब है यहां की बोलियांँ ।
इडली, डोसा हो या दाल बाटी,
तंदूरी रोटी हो या शाही पुलाव,
पंजाबी खाना हो या मारवाड़ी,
विशुद्ध और विशिष्ट है सबका ज़ायका।
आवरण है किसी का धोती-कुर्ता,
किसी के शीश शोभती पगडी,
साड़ी, घाघरा, पहन इठलाती,
सौंदर्य का प्रतीक बन जाती।
लालकिला, इंडिया गेट, ताजमहल, हवामहल,
जंतरमंतर, बोधी वृक्ष है ऐतिहासिक धरोहर,
टाइगर हिल, गुलमर्ग, डलझील, वृंदावन,
है इस धरा पर प्रकृति का अनुपम उपहार।
यहाँ के मंदिरों में उत्कीर्ण अलंकरण,
भित्तिचित्रों और मूर्तियों की योजना,
विषय के गंभीर भावों को दर्शाते,
स्थापत्य कला में दर्शन और संस्कृति झलक जाते।
वेशभूषा और भाषाओं की विषमता,
जीवन यापन के है विभक्त सलीका,
पृथक-पृथक है मिट्टी के रंग यहां,
फिर भी उर में धड़कता है हिन्दुस्तानी दिल,
यही तो है भारत का अद्भुत दर्शन ।
एस. के. पूनम
फुलवारी शरीफ, पटना