भूकंप
तेज आंधी और सुनामी
हुद हुद जैसे तूफान
भूकंप आई है लेकर
अपने साथ कितने सामान।
जहां बिखर कर
रह गए हैं सबके अरमान
कैसा तू लाया है
अपने साथ यह मेहमान।
तिनका तिनका जोड़कर
जो आशियाना बनाया
एक कहर जैसा पहरेदार
जो ऐसा आया।
पलभर में ही शोर मचाकर
जो खामोश हो गया
आंखों के आगे अंधेरा लाकर
जो लाश बनाकर चला गया।
मूर्ति बनी सब कुछ देखती रही
भूकंप का उत्पात सिर्फ सहती रही
मानो बिजली शरीर में ही दौड़ती रही
आंसुओं की नदियां बहती रही।
न था यह प्रथम विश्व युद्ध
न ही था ये शीतयुद्ध
यह तो था बस ऐसा रण युद्ध
भूकंप का था ये प्रलय युद्ध।
न हीं यहां कोई हथियार बने
न ही कोई विस्फोटक बम गिरे
न ही किसी की मेहनत लगी
न ही कोई किसी के दुश्मन बने।
प्राकृतिक आपदा का ऐसा कहर
डूबाकर चला गया गांव और शहर
ईट और पत्थर का बना ये कैसा नहर
रक्त और आंसुओं की चल गई थी लहर।
ठहर जा ठहर जा ओ प्रलयंकारी
न हो तो इतना भयंकर विनाशकारी
यूं ही तो यहां इंसानो की इंसानों से होती महामारी
अब तो सुनले पुकार ओ मुरली मनोहारी।
लवली कुमारी
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अनूपनगर
बारसोई कटिहार