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धन्यवाद टीचर्स ऑफ बिहार-मनोज कुमार दुबे

धन्यवाद टीचर्स ऑफ बिहार

जिस घर में मुझको स्नेह मिला
कैसे कहूं मैं धन्यवाद
जहाँ जीवन को नव नेह मिला
कैसे कहूं मैं धन्यवाद
यह केवल कोई मंच नहीं
यहां दूजा कोई प्रपंच नहीं
उद्देश्य निहित शिक्षा दीक्षा
लिखने पर कोई रोक नहीं
भारत की भावी पीढ़ी को
मिल गया पथ का प्रमाद
जहाँ जीवन को नव नेह मिला
कैसे कहूं मैं धन्यवाद
सुंदरता काव्य की दिखा यहाँ
पढ़ते पढ़ते रचना
गद्य कहानी संस्मरण
क्या कहूं मैं क्या कहना
महापुरुषों का आदर आयोजित
मिला प्रमाण पत्र का प्रसाद
जहाँ जीवन को नव नेह मिला
कैसे कहूं मैं धन्यवाद
पद्य पंकज पर साथ मिला
बढ़ चला टीचर्स आफ बिहार
परिपूर्ण प्रेरणाशील प्रगति
जल का चमके जैसे निहार
आभारी हूं मैं उन सबका
जो चलने का पा गए स्वाद
जहाँ जीवन को नव नेह मिला
कैसे कहूं मैं धन्यवाद। 

मनोज कुमार दुबे
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय

भादा खुर्द, लकड़ी, नबीगंज, सिवान

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