धरा
उठा तो पहले भी किया करती थी
पर जागती तो अब हूँ ।
हर रोज देखा करती थी तेरी खूबसूरती हे! धरा
पर निहारती तो तुझे अब हूँ।
कई बार छुआ था ठंड हवाओं ने मुझे, पर शीतलता तेरी महसूस किया तो अब हूँ।
चिड़ियों की चहचहाहट, पत्तियों की सरसराहट सुना तो बहुत होगा,
पर अपने करीब बुलाया तो तुझे अब हूँ।
बहुत जी लिया खुद के लिए,
पर तेरे लिए ऐ वतन, वक्त गुजारती तो अब हूँ।
उठ जाग जरा हे पथिक, मैं तेरी कर्मभूमि, बुलाती तो तुझे अब हूँ।
छोड़ कोरी कल्पना, यथार्थ को जी ले जरा,
मैं तेरी जिंदगी तुझे बुलाती तो अब हूँ।
रुचि सिन्हा, प्रखंड शिक्षक(स्नातक) ब्लॉक मेन्टर मीनापुर
यू. एम. एस. चांदपरना, मीनापुर,
मो. 9523999354 ruchisinha039849@gmail.com
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