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दिवाली-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

दिवाली

अबकी बार फिर है आई खुशियों की दिवाली,
यह सबके जीवन में लाये समृद्धि, खुशहाली।
मिल-जुल कर सब साथ रहें बना रहे भाई चारा,
सबको पावन करती है जैसे गंगा की धारा।
आओ सबको गले लगाएं क्या राजा, रंक, मवाली,
यह सबके जीवन में लाये…..।
मजदूर-किसान हो एक समान, अथवा नेता या जनता,
ऊचँ-नीच के भेद बिना हो सबमें समता-समरसता।
सबके दामन मे खुशियाँ हो, कोई रहे न खाली।
यह सबके जीवन में लाये…..।
हम महलों में जश्न मनाते, छोडते हैं फुलझडियाँ,
बगल में सुनसान रहती है गरीबों की झोपडियाँ।
एक दीप हम वहाँ जलायें, जहाँ हों रातें काली।
यह सबके जीवन में लाये…..।
शिक्षा की ज्योति जलाकर हम सभ्य समाज बनायें,
नफरत की दीवार गिरे और मिलकर मोद मनायें ।
नहीं हो कोई भूखा-नंगा, दूर हो सबकी बदहाली।
यह सबके जीवन में लाये समृद्धि, खुशहाली।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि
म.वि बख्तियारपुर

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