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हम ऐसे क्यों हैं-विवेक कुमार

हम ऐसे क्यूं हैं

हर बार मैं यह सोचता
हमें सब समझ है आता
फिर भूल क्यों हो जाता
ये बात समझ न पाता
हम ऐसे क्यों हैं
हम ऐसे क्यों हैं…..
हर बुराई समझ आता
सबको है बतलाता
फिर वक्त आते खुद भूल जाता
हम ऐसे क्यों हैं…………
ज्ञानी मानव है कहलाता
बुद्धि, विवेक का ज्ञाता
संयम, समझदारी की मिशाल बन जाता
जब समय आता याद कराया जाता
हम ऐसे क्यों हैं………
कोरोना का आफत है आया
पूरे देश पर कहर बरपाया
सोशल मीडिया, WHO ने बचाव का मंत्र बताया
मास्क, सैनिटाइजर, दो गज की दूरी है रटाया
फिर भी समझ न आया
हम ऐसे क्यों हैं……..
बढ़ा प्रसार शुरू हुआ कोरोना का खेल
तब लगालॉक डाउन का सेल
अब शुरू हुआ झमेल
लापरवाही की इंतहा हुई पेलमपेल
पुलिस देख मास्क लगाया
ओझल हो मास्क हटाया
हद हो गई ये खेल
हम ऐसे क्यों हैं……..
कोरोना की रफ्तार बढ़ रही थी डेलिवेज
प्रशासन की सख्ती हुई तेज
परिस्थिति हो गई तंज
माहौल हो गया चेंज
अगर हम जमीर जगा पाते
खुद मास्क लगा पाते
धैर्य रख पाते
बिन बताए अपना बचाव कर पाते
तो ये दिन ही नहीं आते
हम ऐसे क्यों हैं…….
भूली को बिसार दे
अपने को निखार ले
जमीर को जगा ले
भूल से सीखकर
आदत अपनी सुधार ले
तब परेशानियां होंगी खत्म
सरफरोशी की शमां दिल में जगाकर
बात ये गर्व से बोल ले
हम ऐसे ही हैं
हम ऐसे ही हैं…..

धन्यवाद

विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर

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