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हिम्मत और दिव्यांगता-सन्नी कुमार

हिम्मत और दिव्यांगता

तेरी हिम्मत और हौसला 
ऊंची सोच है तेरी पहचान।

दिव्यांगता भी हारेगी 
होगा जग में तेरा नाम।

खुद अपने पर यकीन रख तु 
कठिन रास्ते पर बढ़ाना कदम।

अगर हार तेरी होगी 
जीत कभी तेरी ही होगी।

तु लायक है, तु सक्षम है
तु हर इम्तिहान के हो काबिल।

तन की दिव्यांगता से बढ़कर 
मन की दिव्यांगता होती है।

जो तुझको देखकर हंसते 
सोच उनकी अपंगता होती है।

चलना है तुझे रुकना नहीं 
चलते ही बस रहना है।

तेरी आजमाईसे संसार जब लेगा 
रुकना नहीं जवाब देना है।

तु कोई लाचार नहीं 
दिव्यांगता तेरा आधार नहीं।

तेरा अस्तित्व तेरा आधार
है तुझमें भी आत्मविश्वास।

विशेष शिक्षक
सन्नी कुमार
सुलतानगंज बिहार

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