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जाओ कोरोना अपने घर-रानी कुमारी

जाओ कोरोना अपने घर

जाओ कोरोना अपने घर
स्कूल हमें बुलाती है।
टनटनाती घंटी की याद
हमें बहुत सताती है।

फूलों वाली फुलवारी तो
सपनों को सजाती है
पर सपनों में रंग-बिरंगी
तितलियाँ न आती है।

ऑनलाइन पढ़ने की बात
अब न हमको भाती है
पढ़ना मज़ेदार होता जब
मैम हमें पढ़ाती है।

हरी-भरी मैदान हमारी
हाय ! खाली-खाली है
दोस्तों की टोली संग वो
पास हमें बुलाती है।

रानी कुमारी पूर्णियाँ बिहार

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