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जीवन-मनोज कुमार दुबे

जीवन

जीवन इतना सरल नहीं 
मै तो दुनियाँ के हर सवाल से डरता हूँ !
दुश्मनों के चाल दोस्तों के बवाल
और अपनों के भीतरघात से डरता हूँ !
न जाने मौसम
कब किस करवट बदल ले !
कभी भरी दोपहरी धूप
कभी घनघोर बदरिया !
आँधी तूफान और जलजला
ठिठुरन भरी जाडे की सर्द रात से डरता हूँ !
जो कभी मै गुनगुनाता हूँ कोई गीत
शब्दो के चयन, गीत की धुन !
रस छंद और अलंकार
भाव विभाव और अनुभाव से डरता हूँ !
डर ही तो जीवन जीने का आधार है
कभी खुशी तो कभी दुःख !
कभी कभी ग़म के
एहसास से डरता हूँ !
और रिश्ते की दीवार ईंट सीमेंट की नहीं होती 
कब टूट जाये ये नाजुक दिल !
दिल के टूटने के इत्तेफ़ाक से ज्यादा
आत्मा और परमात्मा के टकराव से डरता हूँ !
जीवन इतना सरल नहीं 
मै तो दुनियाँ के हर सवाल से डरता हूँ !
दुश्मनों की चाल दोस्तों के बवाल
और अपनो के भीतरघात से डरता हूँ !

मनोज कुमार दुबे
राजकीय उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय भादा खुर्द लकड़ी नबीगंज सिवान

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