करवा चौथ व्रत
करती हूँ मैं उनकी पूजा,
मेरे भगवान कोई और न दूजा।
पति परमेश्वर से है प्यार अपार,
खड़ी हूँ करके सोलह श्रृंगार।
ढँक कर पूरे दैहिक परत
करती हूँ मैं निर्जला व्रत।
रखती हूँ मैं दिन भर उपवास,
मेरे लिए पति श्री हैं खास।
जब तक पूरी न हो आश,
भूख-प्यास का न हो एहसास।
लगा के हाथों में मेहंदी,
सजा के माथे पर बिंदी।
जब आएगा चाँद मेरे अँगना,
निहारूँगी में चलनी से सजना।
मन मस्तिष्क में रहेंगी इनकी छाप,
पूरी होंगी मेरी कथा और जाप।
हर सुहागन का बस है इतना अरमान ,
मेरे पति श्री को तुम देना वरदान।
पिऊँगी उनके हाथों का पानी,
जीवन है एक सच्ची कहानी।
ये जीवन जितनी बार मिले,
हर बार मुझे प्रियतम का साथ मिले।
प्रकाश प्रभात (प्रधानाध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय बाँसबाड़ी
बायसी पूर्णियाँ बिहार
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