Site icon पद्यपंकज

मनु की मर्दानी-नरेश कुमार निराला

मनु की मर्दानी

भारी मन से लिखा था
टप टप टपके अश्रुधारा,
भारत माँ की बेटी है वो
मणिकर्णिका नाम तुम्हारा।

भागीरथी बाई के घर में
जब जन्म लेकर आई थी,
मोरोपंत तांबे के चेहरे पर
असीम खुशियाँ छाई थी।

लेकिन चार वर्ष के होते हीं
माता परलोक सिधार गई,
नन्हीं मनु को कुछ न पता
माँ की ममता और प्यार गई।

युद्ध कला बचपन में सीखी
संघर्षों से भरी जवानी रही,
बरछी, ढाल, कृपान, कटारी व
घुड़सवारी की दीवानी रही।

गंगाधर राव की रानी बन
झाँसी की मान बढ़ाई थी,
अद्धभुत वीरता वैभव से निपुण
मर्दानी लक्ष्मीबाई थी।

राजकुंवर दामोदर राव को जन्म दे
माता की सुख पायी थी,
चार महीने में हीं पुत्र की मृत्यु ने
रानी को फिर तड़पायी थी।

पुत्र शोक में डूबे राजा गंगाधर पर
कालगति ने कहर बरपाया,
झाँसी अब अनाथ हुई हाय
छुटा लक्ष्मीबाई के सिर का साया।

इस कठिन विपदा देख अंग्रेजों ने
झाँसी पर वार किया,
अकेली लक्ष्मीबाई ने ‘पवन’ पर बैठ
दुर्गा बन संघार किया।

बचपन से अन्त समय तक मर्दानी बन
संघर्ष करना सीखा गये,
अपने देश की पहचान न मिटे
ऐसा इतिहास वो बना गये।

नरेश कुमार निराला
प्राथमिक विद्यालय केवला
छातापुर, सुपौल

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version