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फिर रचा इतिहास है -मनु कुमारी

फिर रचा इतिहास है

विश्व कप का खिताब जीतकर ,
फिर रचा इतिहास है ।
बेटियों ने हीं बताया, चाँद कितना पास है।।

मां पिता के स्वप्न को वह ,कर रही साकार है।
नभ में पंछी बनके हरपल, उड़ने को तैयार है।।

साहसी , दृढनिश्चयी वो, ऊर्जा की अंबार है।
कभी गंगा मां सी शीतल, और कभी अंगार है।।

यातना सहकर भी बेटी देती सबको मान है।
संघर्ष की लिखती कहानी, बेटियां अभिमान हैं।।

भारत माँ का भाल फिर, गर्व से ऊँचा हुआ।
बेटियाँ आई है घर में , आदि से रब की दुआ।।

शोला कभी शबनम कभी , बनती कभी चट्टान है।
सहती है दुख पर दिखाती , होंठों पर मुस्कान है।।

ममता करूणा और दया की, सच में वो अवतार है।
चंडी बनकर असुरों का भी, करती वो संघार है।।

बोझ नहीं वो कभी बनी, बनती सहारा हर घड़ी।
बेटियाँ पापा की होती, स्वर्ग की प्यारी परी।

गर्भ में मारो ना कोई, यह बड़ा हीं पाप है।
पुण्य है वह इस जगत की, ना कोई अभिशाप है।।

उड़ने दो उन्मुक्त नभ में, भरने दो ऊँची उड़ान।
बेटियों ने है दिलाई, राष्ट्र को बड़ी पहचान।।

विदेशियों को दे शिकस्त वह, जीत लाई ट्राफी है।
बेटियों को सम्मान दे दो, इतना हीं बस काफी है।

स्वरचित एवं मौलिक
मनु कुमारी, विशिष्ट शिक्षिका प्राथमिक विद्यालय दीपनगर बिचारी ।

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