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नन्हीं दुनिया-मधु कुमारी

नन्हीं दुनिया

तिनका तिनका जोड़ा
किया घोंसला तैयार
देख अपनी छोटी सी दुनिया
हुआ घोंसले से प्यार।

घोंसले में था जब अंडा
सुसुप्त अवस्था में पड़ा हुआ
तब सोचा करता था वो
दुनिया इतना ही होगा बड़ा।

कुछ दिनों बाद जब
टूटा पिंजरा अंडा का
देख घोंसला सोची
नन्हीं प्यारी चिड़ियाँ
ओह ! तो दुनियां
है इतना बड़ा।

धीरे धीरे बीता समय
अब नन्हीं चिड़ियाँ
पंख सहारे लगी उड़ने
देखी जब आसमां विशाल
हो अचंभित और आश्चर्यचकित
तब वह जानी अच्छा तो
है ये दुनियाँ बहुत बड़ा।

मधु कुमारी
कटिहार 

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